عیسائی (CHRISTIANS) برادری کو راغب کرنے میں لگے مودی(MODI)

-رام پنیانی 25 دسمبر 2023 کو وزیر اعظم نریندر مودی نے بہت سے عیسائیوں کو کرسمس کی مبارکباد دینے اور ان سے بات کرنے کے لیے اپنے گھر مدعو کیا۔ انہوں نے سماجی خدمت کے میدان میں مسیحی برادری کے تعاون اور لارڈ یسوع مسیح کی جامع تعلیمات کو سراہا۔ انہوں نے اپنے مہمانوں کو مسیحی برادری کے رہنماؤں کے ساتھ اپنے دیرینہ تعلقات کے بارے میں بھی بتایا۔ کچھ دنوں بعد کیرالہ میں چند سو عیسائیوں نے بی جے پی کی رکنیت لے لی۔ 'دی ہندو' نے لکھا: 'کوٹائیم میں بی جے پی کی ریاستی اکائی کی میٹنگ میں، یہ فیصلہ کیا گیا کہ عیسائی برادری کو راغب کرنے کے لیے 10 روزہ سنیہ یاترا کا اہتمام کیا جائے گا جس کے دوران پارٹی مختلف مسائل پر کمیونٹی کے سامنے اپنے خیالات پیش کرے گی۔ منی پور تشدد سمیت مسائل کو برقرار رکھیں گے۔ کیرالہ کے وزیر اعلیٰ پنیاری وجین نے بجا طور پر کہا کہ 'منی پور میں صورتحال ایسی بن گئی ہے کہ آبادی کا ایک حصہ… عیسائی برادری وہاں نہیں رہ سکتی… ہم سب نے دیکھا ہے کہ اس معاملے میں ریاستی اور مرکزی دونوں حکومتوں نے' چپی سادھ رکھی ہے۔ (انڈین ایکسپریس، ممبئی، 2 جنوری 2024)۔ اگلے عام انتخابات قریب ہیں اور RSS-BJP نے مسیحی برادری کو اپنی طرف متوجہ کرنے کی کوششیں شروع کر دی ہیں۔ جہاں تک مسیحی برادری کی موجودہ صورتحال کا تعلق ہے تو اسے مختلف قومی اور بین الاقوامی رپورٹس اور مذہبی آزادی کے اشاریوں سے سمجھا جا سکتا ہے۔ 'وعدہ نہ توڑو' مہم کے مطابق ملک میں ہر روز عیسائیوں کو ہراساں کرنے کے دو واقعات رونما ہوتے ہیں۔ اتر پردیش میں… 'تقریبا 100 پادری اور عام آدمی اور خواتین بھی غیر قانونی مذہب تبدیل کرنے کے الزام میں جیل میں ہیں جب وہ یا تو سالگرہ منا رہے تھے یا اتوار کی خصوصی دعا کر رہے تھے۔' ایک میمورنڈم کے مطابق حکومت اپنی مختلف تحقیقاتی ایجنسیوں کو کارڈینلز اور پادریوں کے خلاف بھی استعمال کر رہی ہے۔ یونائیٹڈ کرسچن فورم کے مطابق 2022 کے پہلے سات مہینوں میں عیسائیوں پر حملوں کے 302 واقعات ہوئے۔ نیشنل سولیڈیریٹی فورم اور ایوینجلیکل فیلوشپ آف انڈیا کے آرچ بشپ پیٹر ماسیڈو کی طرف سے دائر کی گئی ایک درخواست کے مطابق، 'ریاست ان گروہوں کے خلاف فوری اور ضروری کارروائی کرنے میں ناکام رہی ہے جنہوں نے عیسائی برادری کے خلاف وسیع پیمانے پر تشدد کیا ہے، نفرت انگیز تقاریر کو پھیلایا ہے، مقامات پر حملہ کیا ہے۔ عبادت کی اور ان کی نماز میں خلل ڈالا۔ امریکی کمیشن برائے بین الاقوامی مذہبی آزادی (یو ایس سی آئی آر ایف) نے مسلسل چوتھے سال ہندوستان کو 'خصوصی تشویش' کا ملک قرار دیا ہے اور امریکی حکومت سے کہا ہے کہ وہ اس حقیقت کو ذہن میں رکھتے ہوئے اپنی پالیسیاں بنائے۔ اوپن ڈورز کے مطابق، 'مئی 2014 میں موجودہ حکومت کے اقتدار میں آنے کے بعد سے عیسائیوں پر دباؤ میں ڈرامائی اضافہ ہوا ہے... ہندو انتہا پسند دوسرے مذاہب کے لوگوں پر بلا خوف حملہ کرتے ہیں اور کچھ علاقوں میں شدید تشدد کا سہارا لیا جاتا ہے۔' ... بڑی تعداد میں ریاستی حکومتیں تبدیلی مذہب مخالف قوانین نافذ کر رہی ہیں، جن کا بیان کردہ مقصد ہندوؤں کو دوسرے مذاہب میں جبری تبدیلی کو روکنا ہے، لیکن حقیقت میں، عیسائیوں کو ان کے بہانے دھمکیاں دی جاتی ہیں اور ہراساں کیا جاتا ہے... اس ملک میں پادری ہونے کے ناطے یہ سب سے زیادہ پرخطر کام بن گیا ہے۔ ’’ہندو انتہا پسند پادریوں پر پُرتشدد حملے کرتے ہیں تاکہ عام عیسائیوں کے ذہنوں میں خوف کا احساس پیدا کیا جا سکے۔‘‘ مسیحی برادری کی موجودہ صورت حال کی جڑیں ہندو قوم پرست بیانیے میں پیوست ہیں جس میں اسلام اور عیسائیت کو غیر ملکی مذاہب سمجھا جاتا ہے۔ آر ایس ایس کے دوسرے سرسنگھ چالک M.S. گولوالکر نے اپنی کتاب 'بنچ آف تھاٹس' میں لکھا ہے کہ عیسائی اور کمیونسٹ ہندو قوم کے اندرونی دشمن ہیں۔ آر ایس ایس کی شاخوں میں بھی اس سلسلے کی چیزیں سکھائی جاتی ہیں۔ ہندو قوم پرست سرگرمیوں میں اضافے کے ساتھ، ملک کے قبائلی علاقوں میں سب سے پہلے عیسائیوں کے خلاف تشدد شروع ہوا۔ پروپیگنڈہ پھیلایا گیا کہ عیسائی مشنری زبردستی، دھوکہ دہی کا استعمال کر رہے ہیں۔ ईसाई समुदाय को लुभाने में जुटे मोदी -राम पुनियानी गत 25 दिसंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई ईसाईयों को क्रिसमस की बधाई देने और उनसे बातचीत करने के लिए अपने घर निमंत्रित किया। उन्होंने समाजसेवा के क्षेत्र में ईसाई समुदाय के योगदान और प्रभु ईसा मसीह की समावेशी शिक्षाओं की सराहना की. उन्होंने ईसाई समुदाय के नेताओं से अपने पुराने और लम्बे संबंधों के बारे में भी अपने मेहमानों को बताया। इसके कुछ दिन बाद केरल में कुछ सैकड़ा ईसाईयों ने भाजपा की सदस्यता ले ली। ‘द हिन्दू’ ने लिखा: “भाजपा की राज्य इकाई की कोट्टयम में हुई बैठक में तय किया गया कि ईसाई समुदाय को आकर्षित करने के लिए 10 दिन की स्नेह यात्रा निकाली जाएगी जिसके दौरान पार्टी मणिपुर हिंसा सहित विभिन्न मसलों पर अपनी बात समुदाय के सामने रखेगी”. केरल के मुख्यमंत्री पिनयारी विजयन ने बिलकुल ठीक कहा कि “मणिपुर में हालत यह हो गई है कि आबादी का एक हिस्सा...ईसाई समुदाय वहां रह ही नहीं सकता...हम सबने देखा है कि इस मामले में राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने चुप्पी साध रखी है” (द इंडियन एक्सप्रेस, मुंबई, जनवरी 2 2024). अगला आम चुनाव नज़दीक है और आरएसएस-भाजपा ने ईसाई समुदाय को लुभाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. जहाँ तक ईसाई समुदाय की वर्तमान स्थिति का सवाल है, उसे विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय रपटों और धार्मिक स्वतंत्रता सूचकांकों से समझा जा सकता है. ‘वादा न तोड़ो अभियान’ के अनुसार देश में हर दिन ईसाईयों की प्रताड़ना की दो घटनाएँ होती हैं. उत्तर प्रदेश में....”करीब 100 पास्टर और आम पुरुष और महिलाएं भी गैर-क़ानूनी धर्मपरिवर्तन करवाने के आरोप में जेलों में बंद हैं, जबकि वे या तो जन्मदिन मना रहे थे या इतवार की विशेष प्रार्थना सभा कर रहे थे.” एक ज्ञापन के अनुसार सरकार कार्डिनलों और पास्टरों के खिलाफ अपनी विभिन्न जांच एजेंसियों का इस्तेमाल भी कर रही है. यूनाइटेड क्रिस्चियन फोरम के अनुसार, सन 2022 के पहले सात महीनों में ईसाईयों पर हमलों की 302 घटनाएं हुईं. नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम एंड इवैंजेलिकल फेलोशिप ऑफ़ इंडिया के आर्चबिशप पीटर मेकेडो द्वारा दायर एक याचिका के मुताबिक, “राज्य ऐसे समूहों के खिलाफ त्वरित और आवश्यक कार्यवाही करने में असफल रहा है जिन्होंने ईसाई समुदाय के खिलाफ व्यापक हिंसा की, नफरत फैलाने वाले भाषण दिए, उनके आराधना स्थलों पर हमले किये और उनकी प्रार्थना सभाओं में व्यवधान उत्पन्न किये.” अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमरीकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने लगातार चौथे साल भारत को ‘विशेष सरोकार’ वाला देश निरुपित किया है और अमरीकी सरकार से कहा है कि वह इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियां बनाए. ओपन डोर्स के अनुसार, “वर्तमान सरकार के मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से ईसाईयों पर दबाव में नाटकीय वृद्धि हुई है...हिन्दू अतिवादी अन्य धर्मों के लोगों पर बिना किसी भय के हमले करते हैं और कुछ इलाकों में उन्होंने गंभीर हिंसा की है...बड़ी संख्या में राज्य सरकारें धर्मांतरण-विरोधी कानून लागू कर रही हैं जिनका घोषित उद्देश्य हिन्दुओं का जबरदस्ती दूसरे धर्मों में परिवर्तन रोकना है मगर असल में उनके बहाने ईसाईयों को धमकाया और प्रताड़ित किया जाता है...पास्टर होना इस देश में सबसे ज्यादा जोखिम वाला काम बन गया है. हिन्दू अतिवादी पास्टरों पर हिंसक हमले करते हैं ताकि आम ईसाईयों के मन में डर का भाव बैठाया जा सके.” ईसाई समुदाय की वर्तमान स्थिति की जड़ में है हिन्दू राष्ट्रवादी आख्यान जिसमें इस्लाम और ईसाईयत को विदेशी धर्म माना जाता है. आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर ने अपनी पुस्तक “बंच ऑफ़ थॉट्स” में लिखा है कि ईसाई और कम्युनिस्ट, हिन्दू राष्ट्र के आतंरिक शत्रु हैं. आरएसएस की शाखाओं में भी इसी आशय की बातें सिखाई जातीं हैं. हिन्दू राष्ट्रवादी गतिविधियों में उछाल के साथ ईसाईयों के खिलाफ हिंसा सबसे पहले देश के आदिवासी इलाकों में शुरू हुई. प्रचार यह किया गया कि ईसाई मिशनरीज़ ज़बरिया, धोखाधड़ी
جدید تر اس سے پرانی